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लेखनी प्रतियोगिता -26-Jan-2022

गणतंत्र दिवस


कैसा ये गणतंत्र आया है भ्रष्टाचार की महामारी ने देश सारा भरमाया है ।
स्वच्छ इमानदारी किसी को ना भाती है , चाहे हो जनता या कोई सरमाया है ।
खोले बैठे हैं धर्म का व्यापार , व्यापार के धर्म पर किसी ने ना ध्यान दिलाया है ।
अनपढ़ता, बेरोजगारी, भूखमरी, बलात्कार इनसे युक्त जीवन संसार में छाया है।
कैसा ये गणतंत्र आया है.....कैसा ये गणतंत्र आया है
रखते अंधेरों में निराश्रित जीवों को, महल खूब रोशनियों से जगमगाया है ।
जातिवाद, धर्मवाद, नक्सलवाद, आतंकवाद,लेकर आढ़ इनकी देश का बुरा हाल कराया है ।
रोगिण हुआ देश सारा  ,लगाते नारे भाई-भाई के , भाई-भाई कोई जाति वाला ना बन पाया है  ।
ऊंच-नीच के भेदभाव ने देखो गंगा को भी मैला बनाया है , कैसा ये गणतंत्र आया है, कैसा ये गणतंत्र आया है ।



प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)

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